माँ कामाख्या धाम

                           कामास्ये काम – संपन्ने, कामेश्वरि! हर – प्रिये , कामनां देही मे नित्यं , कामेश्वरि! नमोऽस्तु ते ।

                           कामदे काम – रुपस्थे, सुभगे सुर – सेवित करोमि दर्शनं देव्या:, सर्य – कामार्थ – सिद्धयो ll 

देश के शक्तिपीठो में से एक इसे महाशक्तिपीठ माना गया है। माता अपने भिन्न-भिन्न स्वरूपो में अनेक जगह पर निवास करती है। उसी स्वरूपों में से एक शक्तिपीठ इस कामाख्या के मंदिर के नाम से जाना जाता है।

देश के अन्य महाशक्तिपीठो में हिंगलाज की भवानी मां, कांगड़ा की ज्वालामुखी, सहारनपुर की शाकंभरी देवी, विंध्याचल की विद्यावासिनी देवी का समावेश होता है।

यह सारे महान शक्तिपीठ तंत्र, मंत्र, तथा योग और साधना के लिए सर्वोच्च स्थल है। ऐसा माना जाता है, की इन महान शक्तिपीठों में जो भी व्यक्ति 3 बार दर्शन कर ले उन्हे मोक्ष मिल जाता है।

पूर्वकाल के इतिहास के अनुसार भगवान विष्णु ने माता सती के अपने चक्र से 51 भाग किए थे, क्युकी वह भगवान शिव का मोह मां सती के प्रति भंग करना चाहते थे।

तब उनके 51 भाग जहा-जहा गिरे वह सब 51 शक्तिपीठों के नाम से जाने गए। और उस 51 भागो में से माता की योनि इस कामाख्या में गिरी थी। इसीलिए यह माता की योनि की पूजा भी की जाति है। माता की योनि होने के कारण यह माता रजस्वला भी होती है।

यहां पर हर महीने 3 दिन के लिए अंबुवाची मेला लगता है। मेले के इन तीन दिन के दौरान इसके पास से बहती हुई ब्रह्मपुत्र का पानी 3 दिन के लिए लाल रंग का हो जाता है। कहते है, की कामाख्या देवी के तीन दिन के मासिक धर्म के कारण इसका पानी तीन दिनों के लिए लाल रंग का होता है।

कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य मान्यता है, की माता के तीन दिन के मासिक धर्म के दौरान मंदिर के अंदर सफेद रंग का कपड़ा रख दिया जाता है। और इस 3 दिन मंदिर को बंध रखते है।

तीन दिन बाद जब मंदिर को खोला जाता है, तब वह सफेद रंग का कपड़ा लाल रंग का हो जाता है। इस कपड़े को अंबुवाची वस्त्र कहा जाता है। और भक्तो को यह वस्त्र प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इस तीन दिन बाद भक्तो की भीड़ लगी रहती है।

माता यहां पे सबकी मनोकामना पूर्ण करती है। भक्तजन अपनी इच्छा पूर्ण करने के लिए यहां कन्यापूजन करते है, तथा पशुओं की बलि देते है, और भंडारा भी लगाते है। यहां पर मादा पशु ओ की बलि नहीं दी जाती।

अनाथ आश्रम, वृद्ध आश्रम, नि: शुल्क कन्या विवाह गार्डन व हाल एवं माँ कामाख्या भव्य मंदिर निर्माण

माँ कामाख्या देवी मन्दिर का निर्माण

महाराणा सेवा संस्था का उद्देश्य वृद्धाश्रम एवं अनाथ आश्रम के साथ परिसर में भव्य मंदिर का निर्माण करेगा जिससे वहा के रहने वाले सभी बुजुर्ग एवं बच्चे माँ के प्रेम भावना एवं भक्ति के रूप में हमेशा जुड़ा रहे और मनोबल बढ़ता रहे।

नि: शुल्क कन्या विवाह गार्डन, व हॉल

महाराणा सेवा संस्था का उद्देश्य यह है कि जिस किसी भी पुत्री के पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है वह अपने पुत्री का विवाह धूम धाम से माँ कामाख्या धाम से कर सके , यहा पर नि: शुक्ल हॉल वा गार्डन की व्यावस्था रहेगी।

वृद्ध आश्रम

भारत में वृद्ध आश्रम/ वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वयं को एक गैर सरकारी संगठन के रूप में स्थापित करने की लालसा, महाराणा सेवा संस्था भारत के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले परित्यक्त और उपेक्षित वरिष्ठ नागरिकों की सामाजिक आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास कर रहा है। हम इस विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे है कि हमारे प्रयास उन्हे एक नेक और सम्मानजनित जीवन जीने में मदद करेंगे।

सुविधाएं

एक वृद्धा आश्रम, जिसे वृद्धाश्रम या बुजुर्ग देखभाल केंद्र के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी सुविधा है जहाँ बुजुर्ग व्यक्ति निवास कर सकते हैं और अपने बुढ़ापे में देखभाल और सहायता प्राप्त कर सकते हैं। भारत में, वृद्ध आश्रमों की एक लंबी परंपरा है और इसे सामाजिक कल्याण का एक महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है।

वृद्ध आश्रम की अवधारणा प्राचीन काल से चली आ रही है जब वृद्ध व्यक्तियों को समाज में सम्मान और सम्मान दिया जाता था। परिवार में बुजुर्गों की देखभाल करना युवा पीढ़ी का कर्तव्य माना जाता था। हालाँकि, बदलते समय और बढ़ते शहरीकरण के साथ, संयुक्त परिवार प्रणाली कम आम हो गई है, और कई बुजुर्ग व्यक्ति अपने बुढ़ापे में खुद को अकेला और असमर्थ पाते हैं।

यह वह जगह है जहां वृद्ध आश्रम आते हैं। वे बुजुर्ग व्यक्तियों को रहने के लिए कर्मचारियों और स्वयंसेवकों के साथ उनकी जरूरतों का ख्याल रखने के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण प्रदान करते हैं। वृद्धा आश्रमों में सुविधाएं संगठन के आधार पर अलग-अलग होती हैं, लेकिन उनमें आम तौर पर भोजन, आश्रय और स्वास्थ्य देखभाल जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल होती हैं।

बुनियादी देखभाल के अलावा, वृद्धा आश्रम निवासियों के लिए मनोरंजक और सामाजिक गतिविधियाँ भी प्रदान करते हैं। इसमें योग कक्षाएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्थानीय स्थलों की सैर जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं। ये गतिविधियाँ निवासियों को व्यस्त और सक्रिय रखने में मदद करती हैं, जिससे उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

अनाथ आश्रम

एक अनाथ आश्रम, जिसे अनाथालय या बच्चों के घर के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसा स्थान है जो अनाथ, परित्यक्त या उपेक्षित बच्चों के लिए आश्रय, देखभाल और सहायता प्रदान करता है। इन बच्चों ने अपने माता-पिता को प्राकृतिक आपदाओं, गरीबी, या शराब या घरेलू हिंसा जैसी सामाजिक समस्याओं के कारण खो दिया होगा।

सुविधाएं

अनाथ आश्रम उन बच्चों के लिए एक सुरक्षित और पालन-पोषण का वातावरण प्रदान करने के लिए स्थापित किए गए हैं जिन्हें देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता है। आश्रम भोजन, आश्रय, कपड़े और चिकित्सा देखभाल जैसी बुनियादी ज़रूरतें प्रदान करते हैं। वे बच्चों को आत्मनिर्भर बनने और बेहतर जीवन जीने में मदद करने के लिए शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और भावनात्मक समर्थन भी प्रदान करते हैं।

अनाथ आश्रम आमतौर पर गैर-लाभकारी संगठनों, सरकारी एजेंसियों या धार्मिक संस्थानों द्वारा चलाए जाते हैं। वे अपने कार्यों को निधि देने के लिए व्यक्तियों, संगठनों और सरकार से दान और योगदान पर भरोसा करते हैं। कुछ आश्रमों को अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का भी समर्थन प्राप्त होता है।

अनाथ आश्रमों के कर्मचारियों में प्रशिक्षित देखभाल करने वाले, सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक शामिल हैं जो बच्चों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे बच्चों के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाने के लिए अथक रूप से काम करते हैं और उन्हें आवश्यक देखभाल और ध्यान प्रदान करते हैं।

अनाथ या परित्यक्त बच्चों की देखभाल करने के अलावा, अनाथ आश्रम परिवारों के लिए एक संसाधन के रूप में भी काम करते हैं

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