मानव सेवा ही कर्म और धर्म है

बाल श्रमिकों को मुक्त कराना व उन्हें शिक्षा एवं व्यावसायिक परीक्षण देना एवं श्रमिकों को तकनिकी शिक्षा प्रदान करना | बालक–बालिकाओ की उत्तम शिक्षा

हेतु विद्यालय खोलना, ज्ञान विज्ञान, शिक्षा एवं परीक्षण विस्तार की उत्तम व्यवस्था करना | गरीब, निराश्रित, पीड़ित,  फुटपाथी, सड़कों पर घूमने वाले, आदिवासी एवं

पिछड़े वर्ग आदि के बच्चों एवं महिलाओं हेतु आश्रम, केंद्र खोलना एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाना एवं उनके जीवन स्तर में सुधर का प्रयास करना |

बाल कल्याण हेतु बालवाड़ी, आंगनवाड़ी, झूलाघर, नर्सरी, प्रौढ़शिक्षा, सत्त शिक्षा एवं ओपन विद्यालय शासन के सहयोग से खोलना, उनकी संस्थाओं एवं गतिविधियों का संचालन |

शैक्षिणिक सामग्रीयों का वितरण | महिला मण्डल एवं युवक मण्डल का गठन कर व्यावसायिक एवं सांस्कृतिक परीक्षण देना | बालक–बालिकाओ एवं युवक–युवतियों के शारीरिक एवं मानसिक विकास हेतु कार्य करना | स्वरोजगार योजना हेतु तकनिकी एवं व्यावसायिक परीक्षण देना एवं आत्मनिर्भर बनने में मदद करना |

महिला कल्याण हेतु सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, बुटीक एवं ब्लॉक प्रिंट बंधेज, स्क्रीन प्रिंटिंग, टाइपिंग, कंप्यूटर परीक्षण, चमड़े, जुट, थर्माकोल एवं विभिन्न उपयोगी एवं

 अनुपयोगी समान से बानी वस्तुएँ, कुकिंग, बेकिंग, शरबत, आइसक्रीम, मेंहदी एवं अन्य हस्तकला, शिक्षा की आम व्यवस्था करना | सामजिक कुरितियों के 

उन्मुलन एवं नशाबंदी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करवाना दहेज प्रथा, बल विवाह पर रोक लगवाने में मदद करना | निःशक्त, दुर्बल, वृद्ध एवं निराश्रित व्यक्तियों, 

पीड़ितों एवं शोषितों के कल्याण एवं विकास सम्बन्धी सम्पूर्ण कार्य करवाना |  समिति द्वारा समय -समय पर विभिन्न स्तरों पर संगोष्ठी, परिचर्चा, सेमिनार, प्रदर्शनी, कार्यशाला,  अध्ययन दल सम्मेलन, भृमण, शैक्षणिक भृमण, साहसिक अभियान आदि का संचलान करना |

नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा शिविरों का आयोजन करना, चिकित्सकीय परीक्षण, नि:शुल्क चिकित्सा केंद्र संचालित करना l 

जीवन परिचय ओर सेवा का संकल्प :

महाराणा सेवा संस्था के संस्था प्रमुख महिपाल सिंह पिंजराया ने अपने जीवन से सिख कर मानव सेवा का संकल्प लिया, उन्होने जिंदगी में ऐसे कई दिन देखे जो वें दूसरों की जिंदगी में नही देखना चाहते, इस क्रम में उनके बारे में कुछ सच्ची घटनाए जिनके कारण ही परिस्थितियों नें उनकी जिंदगी को बदल कर रख दिया।

महिपाल सिंह पिंजराया का जन्म 4/4/1994 को जिला मुख्यालय धार के सरकारी हॉस्पिटल के कमरा नम्बर 05 में हुआ था, बचपन से उनको एकांत वातावरण पसन्द था बाल्यकाल से ही देवी-देवताओं की दैवीय शक्तियों के बारे में जानने में जिज्ञासा में लिप्त रहकर अपना बचपन का समय बिताया, इसी दौरान 3 मार्च 1998 में उनके पिता ठाकुर समंदर सिंह पिंजराया का स्वर्गवास हो गया, महिपाल उस समय बहुत छोटी सी उम्र के थे, पर उन्हें उनकें पिता के गुजर जानें के बाद महसूस हुआ कि जीवन में  पिता का अस्तित्व ठीक उसी प्रकार होता है जैसे की पांच उँगलियों में से अंगूठा काट दिया जाए तो हाथ किसी काम का नही होता।

समय की बहती धारा के साथ बालक महिपाल अपनें भय्या-भाभी के साथ रहकर आगे की पढ़ाई करने लगें, लेकिन पढ़ाई में मन न लगनें के कारण सदैव असफल रहे, पिता की बातें और उनकी यादो के साथ उनकी कमी का ऐहसास निरंतर होता रहता था, लगता ऐसा था मानों महिपाल  जैसे अनाथ सा हो गया हो,  अनाथ की परिभाषा क्या होती है में इस सयम अच्छे से जानता हूं, परिवार में पूरे कुनबे के पास अधिक धन संपदा होने के बाद भी उनकें पास प्यार नही था, उन्होनें लोगो मे प्यार देखना शुरू किया, पर हर जगह से धोखा ही धोखा मिला, परिवार के सारें सदस्य बस बड़ी-बड़ी बात करते थे पर साथ कोई नही देता था।

फिर भी लाचार बच्चा महिपाल जाता भी तो कंहा रहना तो घर में ही था, समय के बहाव के साथ ही छोटे से बच्चे महिपाल पर बाल्यकाल में ही  कई गंभीर आरोप लगा दिए गए, कभी चोरी का तो कभी फालतू के मनगढंत आरोप, फिर भी आँख से आँसू बाहर नही आये, अब वही छोटा सा बालक महिपाल युवावस्था की ओर अग्रसर हुवा। महिपाल नें अपनें बड़े पिताजी के लड़के में अपना पिता देखना शुरू किया, मन ही मन सोचा की ये मुझे प्यार देंगे लेकिन उनको भी जिम्मेदारी अधिक होनें के कारण वो ध्यान नही दे पाए और अपनी जिंदगी में वें खुश रहने लगे, उनकी सोच और मेरी सोच में अंतर सा था। मुझे अपने पिता की बात याद थी तो में उसी रास्ते पर जाना चाह रहा था चलना चाह रहा था, लेकिन एक समय ऐसा आया कि अचानक ही नादान बालक महिपाल ग्राम पंचायत में उपसरपंच बन गया, अनुभव की कमी और सही व्यक्ति का साथ ना मिलने से उसमे भी कई मर्तबा असफल रहा, लेकिन फिर भी कभी हार नही मानी, महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभादेवी पाटिल द्वारा ग्राम पंचायत पिंजराया में जनहितैषी कार्यों व आदर्श ग्राम पंचायत के लिए सम्मान किया गया, साथ ही राजनीति में प्रवेश किया लेकिन राजनीति मेरा लक्ष्य नही था, समाज सेवा मेरा उद्देश्य था।

बाद में कई पद पर रहा सांसद प्रतिनिधि, विधायक प्रतिनिधि, सरपंच संघ भोपाल जिला अध्यक्ष और कई पद पर रहकर अपना,  पिता ओर जन्मभूमि का नाम रोशन करने का संकल्प लिया, फिर परिवार की बात और उनके लगायें निराधार आरोप से उभर कर आगे बडने में कई दिक्कते आने लगी, लेकिन साहस ओर सोच बड़ी होने के कारण आगे बड़ने में समस्या कम होने लगी, फिर प्रख्यात संत श्री भय्यूजी महाराज के पास जाकर अपनी समस्या रखी कि ऐसे समय मे क्या करना चाहिए, भय्यूजी महराज ने एक मंत्र दिया जहाँ क़द्र नही वहां जाना नही साथ ही ये भी कहा दुनिया का काम है कहना आप का काम है कर्म करना, जिसको जो कहना है कहे आप अपने काम पर ध्यान दे उसी बात को ध्यान रखते हुवे आगे बड़े। वर्ष 2015-2016 में आर्थिक स्थितिअत्यधिक  कमजोर हो गई। आमदनी से अधिक खर्च करने से समय ऐसा आ गया जैसे मैनें अपनी पूरी जिंदगी खो दी हो, आर्थिक स्थिति कमजोर होने से मानसिक सोच पर बड़ा असर पड़ा, लगने लगा कि एक तरफ नाम कमाया दूसरी तरफ ऐसे दिन, फिर भी हार नही मानी उसी दौरान प.कमल किशोर जी नागर को अपनी सारी बात बताई उन्हीने एक शब्द में अभी प्रश्न का उत्तर दिया ईश्वर हमेशा परीक्षा लेता है पास होना या फेल होना आप के हाथ मे फिर से एक नई ऊर्जा आई और एक नही सोच लेकिन परिवार रिश्तेदार कहा चुप बैठने वाले थे वो मुझे गिराने में आरोप लगाने में इतने ज्यादा सक्रिय हो गये की ऐसा समय भी आया कि में अपनी जिंदगी खत्म कर लूं |

उसी दौरान कई आरोप परिवार वाले बदनाम करने लग गए लेकिन सोच एक ही थी एक दिन ऐसा वक्त ला ऊगा की यही लोग दुनिया मे सब से पिछे होंगे फिर मन मे एक ओर सोच ने जन्म लिया खून के रिश्ते कभी काम नही आते अनजान रिश्ते काम आते हैं इसी रूप में आगे बडे तो कई नये मित्र मिले उनसे हमेशा सिखते रहे फिर राजवीर ट्रस्ट मानव सेवा बना कर लोगो की मद्त करने लगें जब मैने सोचा कि मेरे जैसे इंसान जिसका बस पिता नही है बाकी पूरा परिवार है जब मेरे साथ ये हो सख्ता है तो उस अनाथ बच्चे का किया होता होगा जिसका इस दुनिया मे कोई नही है सोच हर तरह से परिवर्तन होने लगी | कुछ समय बाद एक लड़की से अच्छी मित्रता हो गई उसको अपनी सभी बाते बताने लगे लेकिन कुछ ही समय बाद उस लड़की ने उनके ऊपर कई आरोप लगा कर अपने आप को सही साबित किया और मुझे पूरी तरह से गिरा दिया तभी एक सोच पैदा हुई कि जो युवा वर्ग के लड़के लडकिया गलत रास्ते पर जा रहे है धोके खा रहे है उनको सही रास्ते पर लाना उसके पिछे एक ही सोच रखी कि कई लड़कियां लड़के ऐसे जिंदगी में होते है जो चालबाज़ होते है जिसको दूसरे से ज्यादा अपनी चिंता रहती है और लोग ऐसे लड़के लड़कियों के चक्कर मे आ कर अपनी जिंदगी खराब कर लेते है युवा वर्ग को सही रास्ते पर लाने के लिए

महाराणा सेवा संस्था के अध्यक्ष बन कर फिर से एक नई उमीद के साथ आया लेकिन बात वही खत्म नही हुई रास्ते सोच और मंजिल सब बदल गई अब महाराणा सेवा संस्था के हर कार्य को अपना समझा जीवन को ओर लोगो को आगे बड़ाने के लिए मेहनत करने लगा आज महाराणा सेवा संस्था मध्यप्रदेश में अपना नाम कर रही है साथ ही आगे जा कर पूरी दुनिया मे एक नाम होगा अब संकल्प लिया कि किया जीना आपने लिए सच्चा इंसान वही होता है जो लोगो के लिए जिए जब मुझ पर इतनी तकलीफ आ सख्ती है तो उन लोगो पर किया होता होगा जिनके साथ कोई नही है आज 2% लोग ही सच्ची सेवा कर रहे है अगर जिंदगी में सफल होना है तो मानव सेवा से बड़ कर दुनिया मे कुछ नही होता सन्देश देना चाहता हु की समय एक जैसा नही होता कर्म करते रहे बुरे समय भी अच्छा लगे गा कई परिवार को देखा है कि समय अच्छा था जब किसी की परवाह नही की अपने घमण्ड में मस्त रहे पर ईश्वर हर समय इंसान को परखने की कोशिश करता है समय कैसा भी हो पर मानव सेवा करते रहे बुरा वक्त कभी नही आये गा कहा जाता है कर्म अच्छे तो भिखारी भी अमीर बन जाता है और अमीर भिखारी अगर कर्म नही किए हो तो सोच बड़ी हो संकल्प बड़ा हो कोई काम नही मुश्किल का जब किया इरादा पक्का